कड़क सिंह रिव्यू: रितेश शाह की कमजोर पटकथा में उलझे पंकज त्रिपाठी, अनिरुद्ध रॉय चौधरी की एक और औसत फिल्म

इस दिसंबर माह में, बॉलीवुड फिल्मों और वेब सीरीज़ों का बोहोत ही विविध संग्रह देखने को मिला। ‘एनिमल’ की खबरें सुनते ही हमारे दिमाग़ में ‘केजीफ’ की अगली फिल्म का नाम ‘टॉक्सिक’ रख दिया गया है। ‘जोरम’ जैसी फिल्मों के साथ ‘द आर्चीज’ ने भी ज़ोरदार आधार बनाया। पंकज त्रिपाठी की दो फिल्में, ‘ओएमजी 2’ और ‘फुकरे 3’, ने बड़ी उम्मीदों को पूरा किया। उनका प्रदर्शन ‘पिंक’ और ‘लॉस्ट’ जैसे दो बेहतरीन निर्देशकों द्वारा निर्देशित फिल्मों के साथ उलझा। अनिरुद्ध रॉय चौधरी की ‘कड़क सिंह’ नामक नई फिल्म ने उन्हें चुनौती दी, लेकिन यहाँ उनका प्रस्तुतिकरण पिछली फिल्मों के स्तर पर नहीं है।

फिल्म में कहानी का धारावाहिक स्वरूप
‘कड़क सिंह’ फिल्म पंकज त्रिपाठी के अंदर एक सख्तमिजाज व्यक्ति की कहानी को दर्शाती है। इसका ट्रेलर बता देता है कि यह एक सस्पेंस थ्रिलर है, जिसमें रोमांच, और ड्रामा सब मिश्रित है। यह फिल्म एक आर्थिक अपराध की अनोखी कहानी है, जिसमें प्रस्तुतिकर्ता रितेश शाह ने विविध तत्वों को मिलाकर एक दर्शाने का प्रयास किया है। एक अफसर, जो आर्थिक अपराधों पर काम करता है, एक अस्पताल में अपनी याददाश्त को खो बैठता है। उसकी सहायता करने के लिए वह डॉक्टरों से मिलने के लिए अनुमति प्राप्त करता है। उसकी याददाश्त को वापस लाने के लिए वह तीन विभिन्न कहानियों को सुनता है, जिनमें एक युवती, एक कामुक स्त्री, और एक व्यक्ति नजर आते हैं। इन तीन कहानियों को विचार करके वह अपनी चौथी कहानी तैयार करता है।