उत्तराखंड राज्य को देवभूमि कहा जाता है और यहां पर बहुत सारे प्राचीन मंदिर स्थित हैं। उत्तराखंड में आपको जगह-जगह पर अनोखे मंदिर देखने को मिलते हैं इसलिए इस राज्य में पर्यटकों की बहुत भीड़ भी पाई जाती है। आज हम बात करने जा रहे हैं उत्तराखंड के चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक यमुनोत्री की। यमुनोत्री धाम या मंदिर उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है और उत्तराखंड के छोटे चार धाम तीर्थस्थलों का एक प्रमुख हिस्सा है। उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा यमुनोत्री से ही शुरू होती है। यमुनोत्री का पवित्र धाम देवी यमुना को समर्पित है। यह स्थान अपनी आध्यात्मिक महत्वता के लिए जाना जाता है। यमुनोत्री का मतलब है यमुना नदी का उद्गम स्थल। गंगा के बाद यमुना को देश की सबसे पवित्र नदी माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के दौरान पांडवों ने चार धाम की शुरुआत यमुनोत्री से ही की थी और इसके बाद ही गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा की थी। बहुत ज्यादा ठंड और बर्फबारी के कारण यमुनोत्री धाम को भी केदारनाथ और बद्रीनाथ की तरह ही सर्दियों के समय में बंद कर दिया जाता है। यह तीर्थ स्थल समुद्र तल से लगभग 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार यमुनोत्री में स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। जो व्यक्ति यमुनोत्री में स्नान करता है उसके पापों का नाश हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यमुना नदी का उद्गम स्थल मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और कहा जाता है कि यहां तक जाने वाला रास्ता बहुत ही मुश्किल है।
यह पवित्र स्थल न केवल भक्ति का केंद्र है बल्कि आत्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव कराने वाला एक अद्भुत स्थल है। श्रद्धालु यमुना धाम के जल को बहुत पवित्र मानते हैं और कहते हैं यह आत्मा तक को शुद्ध कर देता है। यमुनोत्री धाम में लोगों की भीड़ पाई जाती है और जगह-जगह से लोग यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं।