भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है एक प्राचीन मंदिर जिसे हम कार्तिक स्वामी मंदिर के नाम से जानते हैं। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन और सुंदर मंदिरों में से एक माना जाता है। कार्तिक स्वामी मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि अगर कोई यहां पर घंटी बांधता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती है।
भगवान कार्तिक ने अपने शरीर का त्याग एक तपस्या के दौरान किया था और तब से इस मंदिर में भगवान कार्तिक की अस्थियां मौजूद है। मान्यता यह है कि भगवान कार्तिक ने भगवान शिव को अपनी अस्थियां समर्पित कर दी थी। पुरानी कथाओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र भगवान कार्तिक और भगवान गणेश को एक चुनौती दी थी कि जो भी तुम दोनों में से ब्रह्मांड का चक्कर सबसे पहले लगा कर आएगा वही विजेता होगा और उसकी ब्रह्मांड में सबसे पहले पूजा की जाएगी। भगवान शिव जी ने भगवान गणेश और कार्तिक और ब्रह्मांड के तीन चक्कर लगाने की चुनौती दी थी। भगवान कार्तिक इस चुनौती को पूरा करने के लिए ब्रह्मांड के तीन चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े परंतु भगवान गणेश ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और माता पार्वती और शिव भगवान के चारों ओर से तीन चक्कर लगा लिए और कहा कि आप दोनों ही मेरा ब्रह्मांड है और मैंने ब्रह्मांड के तीन चक्कर पूरे कर लिए हैं। इस पर भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न हो गए। जब भगवान कार्तिक ब्रह्मांड के चक्कर लगाकर आए और उन्होंने देखा कि गणेश भगवान ने किस तरह से इस चुनौती को पूरा किया और भगवान शिव और माता पार्वती ने उनकी प्रशंसा की तो कार्तिक भगवान बहुत ही क्रोधित हो गए और अपने माता-पिता के निवास स्थान को छोड़कर चले गए। उस समय भगवान कार्तिक ने भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के लिए अपनी अस्थियां भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित कर दी थी और माना जाता है कि यह अस्थियां उन्होंने उत्तराखंड के कार्तिक स्वामी मंदिर में ही की थी और आज भी वहां भगवान की अस्थियां मौजूद है।