शिव तांडव गुफा कुनिहार

हिमाचल प्रदेश की इस प्राचीन गुफा में भगवान शिव शंकर ने ली थी राक्षस भस्मासुर से बचने के लिए शरण

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है यहां कन-कन में देवी देवताओं का वास है और यहां पर जगह-जगह रहस्यमई मंदिर स्थित है। ऐसी ही एक रहस्यमई गुफा मौजूद है हिमाचल प्रदेश राज्य के सोलन जिले में कुनिहार में स्थित है। इस गुफा को हम शिव तांडव गुफा के नाम से जानते हैं। शिव तांडव गुफा सालों से भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है। शिव तांडव गुफा को इस साधारण गुफा नहीं है बल्कि यह गुफा सतयुग से संबंध रखती है।

इस गुफा की मान्यता है कि जब भस्मासुर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करी थी और उस कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हो गए थे और भस्मासुर को वरदान मांगने को कहा था तब भस्मासुर ने वरदान मांगा था कि मैं जिसके भी सर के ऊपर हाथ रखूंगा तो वह उसी समय भस्म हो जाएगा तब भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया था। तब भस्मासुर ने इस वरदान का प्रयोग भगवान शंकर पर ही करना चाहता था। भगवान शिव शंकर अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए हिमालय की गुफाओं में छिप जाते थे और जिस भी जगह भगवान शिव शंकर जाते थे उस जगह एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हो जाता था ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने शिव तांडव गुफा में भी अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए कुछ समय के लिए शरण ली थी। शिवरात्रि के दिन यहां पर भारी संख्या में लोग भगवान शिव शंकर के दर्शन करने के लिए आते हैं। बताया जाता है कि गुफा की चट्टानों से शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से दूध गिरता था और बाद में पानी गिरना शुरू हो गया था लेकिन बाद में प्राकृतिक से हो रही छेड़छाड़ के परिणाम स्वरुप यहां से पानी गिरना भी बंद हो गया था। जब इन चट्टानों से दूध वह पानी गिरता था तो ऐसा लगता है कि प्रकृति स्वयं शिव भगवान का दूध और जल से अभिषेक कर रही है।

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