हिमाचल प्रदेश राज्य के हमीरपुर जिले में स्थित है भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर जिसे हम गसोता महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं। गसोता महादेव मंदिर 400 साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर माना जाता है। गसोता महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। गसोता महादेव मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है जो की एक किसान द्वारा खेत जोतते समय हल टकराने के बाद प्रकट हुआ था। इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से शिवलिंग की पूजा अर्चना करेगा उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। लोग देश भर से अपनी मनोकामना की पूर्ति करने के लिए यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं। गसोता महादेव मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग को बारिश का देवता माना जाता है। मान्यता अनुसार जब भी इस क्षेत्र में बारिश नहीं होती तो स्थानीय लोग धोती और पानी का घड़ा लेकर मंदिर में जाते हैं और घड़े का पानी शिवलिंग पर अर्पित करते हैं और अगर डेढ़ किलोमीटर दूर स्थापित भगवान शिव के चरणों से पानी की धारा निकलती है तो यह माता जाता है कि यहां पर बारिश जरूर आएगी।
प्राचीन कथाओं के अनुसार एक किसान गसोता गांव के खेत में हल जोत रहा था उस समय उसका हल किसी चीज से टकराया तो वहां से जलधारा निकली। दूसरी बार जब वह उस चीज से टकराया तो वहां से दूध निकाला। तीसरी बार जब उसी चीज से हल टकराया तो वहां से खून की धारा निकली तब किसान और उसके बैल की आंखों की रोशनी चली गई। परंतु बाद में बहुत पूजा अर्चना करने के बाद किसान और उसके बैल की आंखों की रोशनी वापस आ गई थी और भगवान शिव की शिवलिंग को गसोता में स्थापित किया गया था। आज भी शिवलिंग पर उन तीन चोटों के निशान मौजूद है जो हल से टकराते समय लगी थी।
पुरानी कथाओं के अनुसार पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय यहां रुके थे। यहां पर जब सूखा पड़ गया था तो भीम ने अपना गदा धरती पर मारा था और उसे एक जलस्रोत बहने लगा। माना जाता है कि यह जलस्रोत आज भी बह रहा है।