कार्तिकेय मंदिर

हरियाणा राज्य का एक ऐसा मंदिर जहां महिलाओं के जाने पर लगाया गया है प्रतिबंध और महिलाएं स्वयं भी नहीं जाना चाहती इस मंदिर में।

हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र जिले के पिहोवा में स्थित है एक प्राचीन मंदिर जिसे हम कार्तिकेय मंदिर के नाम से जानते हैं। कार्तिकेय मंदिर अपनी प्राचीन परंपरा के कारण बहुत प्रसिद्ध माना जाता है। इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है और महिलाएं स्वयं भी इस मंदिर में नहीं जाना चाहती। इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध का कारण श्राप को बताया जाता है। माना जाता है कि अगर कोई महिला इस मंदिर में दर्शन कर लेती है तो वह सात जन्म के लिए विधवा हो जाती है। मंदिर के बाहर बोर्ड पर हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी भाषा में साफ शब्दों में महिलाओं के लिए चेतावनी लिखी हुई है। भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिक जी यहां पिंडी के रूप में विराजमान है।

पुरानी कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने को कहा था तो कार्तिकेय जी अपने वाहन पर बैठकर चक्कर लगाने चले गए। परंतु गणेश जी ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके अपने माता-पिता का चक्कर लगाकर बोला कि मैंने पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा लिया है जिससे माता पार्वती और शिवजी प्रसन्न हो गए और गणेश जी का राजतिलक किया और आशीर्वाद दिया कि ब्रह्मांड में सभी गणेश जी की पूजा सबसे पहले करेंगे। जब कार्तिक जी ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए और उन्होंने देखा कि गणेश जी का राजतिलक कर दिया गया है तो वह बहुत क्रोधित हो गए। कार्तिक ने अपनी माता से कहां माता अपने मेरे साथ छल किया है और क्रोधित होकर कार्तिकेय जी ने अपना मांस और खाल उतारकर माता के चरणों में रख दिया और पूरी नारी जाति को श्राप दिया कि जो कोई महिला मेरे इस रूप में दर्शन करेगी वह सात जन्म तक विधवा रहेगी। तब सभी देवताओं ने कार्तिक जी को शांत करने के लिए उन पर सरसों तेल चढ़ाया था जिससे उनको शीतलता मिली थी। आज भी कार्तिकेय मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाया जाता है। इस श्राप का डर आज भी महिलाओं में है और कोई भी महिला यहां पर दर्शन करने के लिए नहीं जाती।

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