स्वर्ग की सीढ़ियां

हिमाचल प्रदेश में है स्वर्ग की तीन सीढ़ियां और एक है उत्तराखंड में अगर पाँचवीं सीढ़ी भी बन जाती तो क्या होता

हिंदू धर्म में अच्छे और बुरे कर्मों को बहुत ही मान्यता दी जाती है। जो भी व्यक्ति अच्छे कर्म करता है उसे स्वर की प्राप्ति होती है और जो भी व्यक्ति बुरे कर्म करता है वह नरक में जाता है और अपने पापों का प्रायश्चित करता है। माना जाता है कि अगर रावण स्वर्ग तक पहुंचाने की पांच सीढ़ियां बना लेता तो कोई भी व्यक्ति बड़ी आराम से स्वर्ग में पहुंच जाता। रावण भगवान शिव का परम भक्त था। रावण एक विद्वान ब्राह्मण था और वह अत्यंत ज्ञानी था।

पुरानी कथाओं के अनुसार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित पौड़ीवाला में भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। कई लोगों का कहना है रावण ने भगवान को अपना सिर काटकर चढ़ाया था जिससे वह प्रसन्न हो गए थे और कई लोग कहते हैं कि भगवान शिव रावण की कठोर तपस्या से ही प्रसन्न हो गए थे और वहां पर उन्हें दर्शन दिए थे। जब भगवान वहां प्रकट हुए तो उन्होंने रावण को वरदान मांगने को कहा तो रावण ने अमर होने का वरदान मांगा। इस पर भगवान शंकर ने एक शर्त रखी कि अगर तुम एक दिन में धरती पर स्वर्ग तक पहुंचाने की पांच सीढ़ियां बना दोगे तो तुम अमर हो जाओगे। रावण ने स्वर्ग तक पहुंचाने के लिए चार सीढ़ियो का निर्माण तो कर दिया था। माना जाता है की पाँचवीं सीढ़ी बनाने से पहले उसे नींद आ गई थी और अगला दिन हो गया था जिससे उसे वह अमर नहीं हो पाया था। 

स्वर्ग की पहली सीढ़ी उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित है जिसे हम हर पौड़ी के नाम से जानते हैं। स्वर की दूसरी सीढ़ी रावण ने हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पौड़ीवाला के शिव मंदिर में बनाई थी। तीसरी सीढ़ी भी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में चूड़ेश्वर  महादेव मंदिर में बनाई गई थी। रावण ने चौथी सीढ़ी हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में किन्नर कैलाश में बनाई थी तथा पाँचवीं सीढ़ी बनाने से पहले उसे नींद आ गई थी जिससे उसका अमर होने का सपना टूट गया था।

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