गौमुख कुंड महादेव मंदिर राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ किले के पश्चिमी भाग में स्थित एक पवित्र जलाशय है और चित्तौड़गढ़ किले का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। गौमुख का वास्तविक अर्थ गाय का मुख होता है। गौमुख कुंड को चित्तौड़गढ़ के तीर्थ राज के नाम से भी जाना जाता है। चित्तौड़गढ़ किला भारत के किलों में सबसे बड़ा किला माना जाता है। कहा जाता है कि इस किले का निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ था। गौमुख कुंड में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। गौमुख कुंड चट्टानों से बना हुआ एक प्राचीन कुंड है और इस कुंड में भूमिगत जल बिना रुके शिवलिंग के ऊपर गिरता रहता है और यह नजारा इतना सुंदर होता है कि लोग इसको देखते रह जाते हैं। ऐसा लगता है कि प्रकृति स्वयं भगवान शिव का जल अभिषेक कर रही है।
गौमुख कुंड में पानी चट्टानों की दरारों से बहता रहता है। इस कुंड के जल को बहुत पवित्र माना जाता है। माना जाता है जब भी तीर्थयात्री और भक्त विभिन्न हिंदू आध्यात्मिक स्थानों के दौरे पर जाते हैं तब वह चित्तौड़गढ़ के गौमुख कुंड में अपनी पवित्र यात्रा के पूरा होने के लिए आते हैं। इस छोटी प्राकृतिक गुफा से साफ जल की भूमिगत धारा साल के 12 महीने बहती रहती है। परंतु यह जल कहां से आता है यह किसी को नहीं पता और यह एक रहस्यमयी बात है।
भगवान शिव का शिवलिंग उस जगह पर स्थित है जहां से पानी प्राकृतिक रूप से निकलता है। इस अनोखे दृश्य के अलावा लोग यहां प्राकृतिक सुंदरता को भी देखने के लिए आते हैं। गौमुख कुंड में साल भर में तीर्थ यात्रियों की भीड़ पाई जाती है और शिवरात्रि के दिन तो यहां पर दूर-दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। गौमुख कुंड का पानी इतना पवित्र और ठंडा होता है कि श्रद्धालु इसे पवित्र मानकर अपने साथ ले जाते हैं।