बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है। बद्रीनाथ मंदिर को बद्रीनारायण नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। बद्रीनाथ मंदिर भारत के चार धामों यानी तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इस धाम के बारे में एक कहावत भी है “जो जाए बद्री, वो न आए ओदरी” इस कहावत का मतलब है जो भी व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है तो उसे मां के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता। यानी वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। केदारनाथ मंदिर की तरह ही बद्रीनाथ मंदिर को भी सर्दियों के समय भारी बर्फबारी और ठंड के कारण बंद कर दिया जाता है।
पुरानी कहानियों के अनुसार माना जाता है कि यह मंदिर कभी शिव का स्थान हुआ करता था। इस स्थान पर शिव शंकर और माता पार्वती साथ रहते थे। एक दिन भगवान विष्णु अपनी तपस्या के लिए कोई स्थान ढूंढ रहे थे तब उन्हें यह स्थान अपनी तपस्या के लिए बहुत पसंद आया। उन्होंने देखा कि यह स्थान तो शिव भूमि है तो विष्णु भगवान ने बाल रूप धारण किया और रोने लगे। तब माता पार्वती और शिवजी वहां पर आए और बच्चे से पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो तुम्हें क्या चाहिए। उस समय भगवान विष्णु ने बाल रूप में शिव भगवान से यह स्थान मांग लिया। भगवान विष्णु ने बाल रूप में शिव और पार्वती से जो स्थान मांगा था उसे आज हम बद्रीनाथ नाम से जानते हैं। यहां लाखों की संख्या में लोग भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं।